
राजस्थान का कश्मीर कहा जाता है इस जगह को… जानें कहा है यह जगह।
यूं तो राजस्थान राजा-रजवाड़ों और अपने शाही अंदाज के लिए पहचाना जाता है। जहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक घूमने यहां आते हैं, लेकिन मारवाड़ और मेवाड़ के बीच अरावली की वादियों में बसा गोरम घाट हूबहू कश्मीर जैसा ही नजर आता है। इसी कारण इसे राजस्थान के कश्मीर के रूप में भी जाना जाता है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। ये स्थान देवगढ़ के पास िस्थत है। यही नहीं यहां भीलबेरी, गोरीधाम एवं दूधालेश्वर महादेव भी िस्थत है। जिसे देखने भी पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। यदि आप घूमने के शौकिन हैं तो गोरम घाट जरूर आएं। इसकी दूरी देवगढ़ से करीब 20 किमी है। देवगढ़ राजसमंद जिले में है। गोरम घाट के आस-पास ऊंची पहाडिय़ां, बादलों का डेरा और ऊंचे झरनों को देख मोहित हो जाएंगे। यहां ट्रेन से सफर का भी अदभुत नजारा है। देवगढ़ उपखंड के कामलीघाट और मारवाड़ स्टेशन से मीटर गेज रेल मारवाड़- कामलीघाट- मारवाड़ एवं वेलिक्विन हेरिटेज ट्रेन का संचालन किया जाता है। अब वर्तमान में इस हेरिटेज ट्रेन का समय भी बदल दिया है। ये क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। पर्यटकों के लिए रमणीय स्थल भी है। जहां प्रतिवर्ष हजारों सैलानी यहां भ्रमण करने आते है
राजसमंद
राजस्थान का कश्मीर कहा जाता है इस जगह को… जानें कहा है यह जगह
अरावली की पहाडिय़ों के बीच बसा गोरमघाट, प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को कर रहा आकर्षित
गोरमघाट, भीलबेरी, गोरीधाम एवं दूधालेश्वर महादेव यहां बारिश में पहुंचे हजारों सैलानी
सरफराज शेख @ देवगढ़. यूं तो राजस्थान राजा-रजवाड़ों और अपने शाही अंदाज के लिए पहचाना जाता है। जहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक घूमने यहां आते हैं, लेकिन मारवाड़ और मेवाड़ के बीच अरावली की वादियों में बसा गोरम घाट हूबहू कश्मीर जैसा ही नजर आता है। इसी कारण इसे राजस्थान के कश्मीर के रूप में भी जाना जाता है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। ये स्थान देवगढ़ के पास िस्थत है। यही नहीं यहां भीलबेरी, गोरीधाम एवं दूधालेश्वर महादेव भी िस्थत है। जिसे देखने भी पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। यदि आप घूमने के शौकिन हैं तो गोरम घाट जरूर आएं। इसकी दूरी देवगढ़ से करीब 20 किमी है। देवगढ़ राजसमंद जिले में है। गोरम घाट के आस-पास ऊंची पहाडिय़ां, बादलों का डेरा और ऊंचे झरनों को देख मोहित हो जाएंगे। यहां ट्रेन से सफर का भी अदभुत नजारा है। देवगढ़ उपखंड के कामलीघाट और मारवाड़ स्टेशन से मीटर गेज रेल मारवाड़- कामलीघाट- मारवाड़ एवं वेलिक्विन हेरिटेज ट्रेन का संचालन किया जाता है। अब वर्तमान में इस हेरिटेज ट्रेन का समय भी बदल दिया है। ये क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। पर्यटकों के लिए रमणीय स्थल भी है। जहां प्रतिवर्ष हजारों सैलानी यहां भ्रमण करने आते हैं।
राजस्थान का यह जिला, सामने आई यह हैरान करने वाली वजह
मानसून में 182 फीट से गिरता है भील बेरी झरना
राजस्थान का सबसे ऊंचा झरना है, यह अरावली पर्वतमाला में बहता है। भील बेरी इको-डेस्टिनेशन जलप्रपात स्थल है जो घने जंगल से घिरा हुआ है। यह राजसमंद और पाली जिलों की सीमा रेखा पर स्थित है। ये टॉडगढ़ रौली वन्यजीव अभ्यारण्य का एक हिस्सा है। हजारों लोग इस स्थान पर भ्रमण करने आते हैं। इसे राजस्थान के दूध सागर के नाम से भी पहचाना जाता है। कामलीघाट से कालीघाटी मार्ग पर 5 किलोमीटर दूर यह झरना स्थित है। यहां वन विभाग की चौकी भी है। इस झरने के पास पहुंचने के लिए दुर्गम स्थानों से होकर गुजरना पड़ता है। इस झरने को राजस्थान का मेघालय के नाम से भी जाना जाता है।
गुफा में बना है तपो भूमि गौरीधाम
राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है जहां गौरी मैया ने तपस्या कर भगवान शिव को प्राप्त किया। यहां भगवान गणेशजी की उत्पत्ति हुई थी। जब भगवान शिवजी ने माता पार्वती को गुफा के अंदर से देखा तो उनकी आंखों के निसान आज भी गुफा पर मौजूद है। राजसमंद जिले के कामलीघाट (देवगढ़) के निकट अरावली वादियों में बसे प्राचीन मां गौरी के मंदिर के दर्शन करवाते हैं। बाघाना गांव के निकट से इस मंदिर में जाने का रास्ता जाता है। यहां तक यात्रा करने के दौरान ऐसा प्रतीत होता है जैसे मां गौरी का मंदिर पाताल लोक में हो। इस प्राचीन मंदिर के निकट ही झरने और नहाने पर्यटक यहां आते हैं। यहां सात कुंड बने हुए हैं। एडवेंचर के शौकीन पर्यटक यहां काफी आते हैं।
600 साल पुराना मंदिर दुधालेश्वर महादेव
दुधालेश्वर महादेव मंदिर राजसमंद जिले की सीमा पर अरावली की पहाडिय़ों के मध्य स्थित है। ये टॉडगढ़ गांव से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पहाडिय़ों के बीच से निकलती सडक़ और प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। यह मंदिर लगभग 600 साल पुराना है। यहां मंदिर में हरियाली अमावस्या और महाशिवरात्रि पर भव्य मेले का आयोजन होता है। दुधालेश्वर महादेव मंदिर पहाडिय़ों और जंगल के बीचों बीच मौजूद है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को जंगली जानवरों जैसे, बघेरा, भालू, लोमड़ी, आदि दिखाई दे जाते हैं।
यह है ट्रेन का टाइम
ये ट्रेन मारवाड़ जंक्शन से सुबह 8.30 बजे रवाना होकर सुबह साढ़े 11 बजे कामलीघाट स्टेशन पर पहुँचती है। वापसी में दोपहर 2.30 बजे रवाना होकर ट्रेन शाम 5.30 मारवाड़ जंक्शन पहुंच रही है। इस हेरिटेज ट्रेन में एक बार में 55-60 यात्री यात्रा कर सकेंगे। ट्रेन में एक व्यक्ति के आने-जाने का किराया 2 हजार रुपए है। ये हेरिटेज ट्रेन मंगलवार और शुक्रवार छोड़ बाकी दिन चल रही है। रेलवे ने वैकल्पिक ट्रेन को आकर्षक लुक देने लिए इसके इंजन को पुराने भाप इंजन का आकार दिया है। हेरिटेज ट्रेन के सिंगल कोच पर राजस्थानी चित्रकारी के साथ हाथी-घोड़े और पालकी उकेरी गई है। वातानुकूलित हेरिटेज ट्रेन गोरमघाट, फुलाद और कामलीघाट स्टेशन पर तो रुकेगी, लेकिन पर्यटक इसे बीच रास्ते में भी रुकवा सकते हैं। इस ट्रेन के साथ 49 सीट का विस्टा डोम कोच, एक स्टाफ का कोच और एक इंजन लगाया है। इसी तरह सामान्य मीटर गेज ट्रेन संख्या 09695 मारवाड़ से प्रात: 8.15 बजे चलकर कामलीघाट 11.10 पर पहुचेगी ओर ट्रेन संख्या 09696 कामलीघाट से दोपहर 12.50 पर चलकर 3.45 बजे मारवाड़ जंक्शन पहुचेगी।